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जानें अमर शहीद ऊधम सिंह के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी एवं ऐतिहासिक रोचक तथ्य ………

by anumannews
देहरादून : अमर शहीदउधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गाँव, पंजाब में हुआ था। इन्हें बचपन में शेर सिंह के नाम से जाना जाता था। इनके पिता का नाम सरदार टहल सिंह जम्मू और माता का नाम नारायण कौर था। इनके पिता एक किसान थे और उपल्ली गाँव के रेलवे क्रॉसिंग में चौकीदार के रूप में काम करते थे और इनकी माता घर में ग्रहणी थी। इनके माता पिता की दो संतान थी इनके बड़े भाई का नाम मुक्तासिंह था ।
  • यद्यपि ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पँजाब के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में एक सिख परिवार में हुआ था, लेकिन वह एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे। 
  • उन्होंने अपना नाम बदल लिया – राम मोहम्मद सिंह आज़ाद।
  • उनके पिता के निधन के बाद उनका और उनके बड़े भाई का पालन-पोषण एक अनाथालय में हुआ।
  • ऊधम सिंह को पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था, जो 1919 में जलियांवाला बाग गोलीबारी के लिए जिम्मेदार था, जिसमें 300 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी। 
  • ओ’डायर ने पंजाब में मार्शल लॉ लगाकर जनरल डायर की कार्रवाई का समर्थन किया था।
  • सिंह के आदर्श थे स्वतंत्रता के प्रतिष्ठित क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, जिनको भी इसी तरह के आरोप में 1931 में ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी।
  • 1995 में उत्तराखंड सरकार ने उनके नाम पर एक जिले का नाम रखा- उधम सिंह नगर। 
  • ब्रिटेन की जेल में हिरासत के दौरान सिंह 42 दिनों तक भूख हड़ताल पर रहे।
  • इनके पापा सरदार तेहाल सिंह जम्मू उपल्ली गांव में रेलवे चौकीदार थे।
  • पापा ने इनका नाम रखा था शेर सिंह। इनके एक भाई भी थे- मुख्ता सिंह।
  • सात साल की उम्र में उधम अनाथ हो गए। पहले मां चल बसीं और उसके 6 साल बाद पिता। 
  • अनाथालय में लोगों ने दोनों भाइयों को नया नाम दिया। शेर सिंह बन गए उधम सिंह और मुख्ता सिंह बन गए साधु सिंह।
  • 1918 में उधम ने मैट्रिक के एग्जाम पास किए।  साल 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया।
  • उधम सिंह के सामने ही 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था। उन्होंने अपनी आंखों से डायर की करतूत देखी थी।वे गवाह थे, उन हजारों भारतीयों की हत्या के, जो जनरल डायर के आदेश पर गोलियों के शिकार हुए थे।
  • यहीं पर उधम सिंह ने जलियांवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर जनरल डायर और तत्कालीन पंजाब के गर्वनर माइकल ओ’ ड्वायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ली।
  • इसके बाद वो क्रांतिकारियों के साथ शामिल हो गए। सरदार उधम सिंह क्रांतिकारियों से चंदा इकट्ठा कर देश के बाहर चले गए. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा कर क्रांति के लिए खूब सारे पैसे इकट्ठा किए।
  •   उधम सिंह के लंदन पहुंचने से पहले जनरल डायर की बीमारी के चलते ब्रेन हैमरेज से मृत्यु हो गयी थी। ऐसे में उन्होंने अपना पूरा ध्यान माइकल ओ’ ड्वायर को मारने पर लगाया।
  • 1935 में जब वो कश्मीर गए थे. वहां उधम को भगत सिंह के पोट्रेट के साथ देखा गया था।
  • इन्हे देशभक्ति गाने गाना बहुत अच्छा लगता था। 
  • 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हॉल में बैठक थी। वहां माइकल ओ’ ड्वायर भी स्पीकर्स में से एक था। उधम सिंह उस दिन टाइम से वहां पहुंच गये थे। अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी कानून की किताब में छिपा रखी थी।
  •   पता है कैसे? उन्होंने किताब के पन्नों को रिवॉल्वर के शेप में काट लिया था, और बक्से जैसा बनाया था. उससे उनको हथियार छिपाने में आसानी हुई।
  • बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ’ ड्वायर को निशाना बनाया। उधम की चलाई हुई दो गोलियां ड्वायर को लगी जिससे उसकी तुरंत मौत हो गई। 
  • इसके साथ ही उधम सिंह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और दुनिया को संदेश दिया कि अत्याचारियों को भारतीय वीर कभी छोड़ा नहीं करते।
  • उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और वहीं अरेस्ट हो गए। उन पर मुकदमा चला।
  • कोर्ट में जब  पेशी हुई जज ने सवाल दागा कि वह ओ’ ड्वायर के अलावा उसके दोस्तों को क्यों नहीं मारा। उधम सिंह ने जवाब दिया कि वहां पर कई महिलाएं थीं और हमारी संस्कृति में महिलाओं पर हमला करना पाप है।
  • कोर्ट में उनकी पैरवी जाने माने वकील कृष्णा मेनन ने की थी, जो बाद में भारत के रक्षा मन्त्री बने थे।
  • 4 जून, 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया।  31 जुलाई, 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। 
  • 1974 में ब्रिटेन ने उनके अवशेष भारत को सौंप दिए।
  • क्रांतिकारी सरदार ऊधम सिंह को उनकी जयन्ती पर विनम्र श्रद्धांजलि!!

लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.