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पूज्य मोरारी बापू ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में पहली राम कथा का किया शुभारंभ

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  • रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निमंत्रण पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूज्य मोरारी बापू ने अयोध्या में पहली राम कथा शुरू की 
अयोध्या : विश्व के घर घर एवम घट घट में रामकथा स्थापित करने वाले मोरारी बापू ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निमंत्रण पर राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में पहली राम कथा शुरू की है। आज से शुरू हुआ यह पवित्र कार्यक्रम नौ दिनों तक 3 मार्च तक तीर्थ क्षेत्र पुरम विद्याकुंड में होगा, जो भव्य राम मंदिर के बिलकुल निकट है।  राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय जी ने अक्टूबर-2023 में मोरारी बापू से भेंट की थी और राम लला की मूर्ति की प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में ऐतिहासिक पहली राम कथा आयोजित करने के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण दिया था। इस कथा का शीर्षक ‘मानस राम मंदिर’ है। यह बापू की 932वीं कथा है और अयोध्या में उनकी सातवीं कथा होगी। रामकथा के लिए, मोरारी बापू ने राम चरित मानस से निम्नलिखित दो चौपाइयों को केंद्रीय पंक्तियों के रूप में चुना है। 
  1.  बंदउँ बालरूप सोइ रामू । सब सिधि सुलभ जपत जिसु नामू ॥ (बालकाण्ड – दोहा 112)
  2. इष्टदेव मम बालक रामा । सोभा बपुष कोटि सत कामा ॥ (उत्तरकाण्ड – दोहा 75) 
बापू ने बताया कि, यह देखते हुए कि राम को हिंदू धर्म में सातवां अवतार माना जाता है, यह वास्तव में दैवीय इच्छा ही है कि, उनकी सातवीं रामकथा अयोध्या में हो रही है। रामायण में सात मंत्र हैं, हिंदू विचार के अनुसार 7 लोक(विश्व) हैं। राम चरित मानस के आरंभ में सात मंत्र और समापन के समय सात प्रश्न हैं।  जब वे अयोध्या में राम मंदिर देखने पहुंचे तो चंपत राय जी से कहा था कि, ऐसा नहीं लगता कि यह मंदिर जमीन से खड़ा हुआ है, बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि गगन से नीचे उतरा है। 
राम कथा के पहले दिन मोरारी बापू ने मंदिर में गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी स्थापित करने का अनुरोध किया। इस पर चंपत राय जी ने तुरंत सहमति दे दी। तब बापू ने उन्हें मंदिर के लिए तीन पवित्र ग्रंथ – एक ग्रंथ स्वरूप चारों वेद, वाल्मिकी रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी की राम चरितमानस की वृहद आकार में मूल पाठ भेंट किया। प्रत्येक प्रति का वजन लगभग 15 किलो है। ट्रस्ट के मुताबिक इन्हें मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। यह ग्रंथ दर्शनीय तथा पूजनीय  एवम धर्मग्रंथ संरक्षणार्थ समर्पित हैं।
गौरतलब है कि, आध्यात्मिक विभूति मोरारी बापू का अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में सबसे बड़ा योगदान है। छह दशकों से अधिक समय तक रामायण का प्रचार-प्रसार करने के लिए जाने जाने वाले बापू ने इस उद्देश्य के लिए 20 करोड़ रुपये का उल्लेखनीय दान दिया है।  कुल 11.30 करोड़ रुपये की राशि तुरंत ट्रस्ट को जारी कर दी गई थी, जबकि विदेश से जुटाई गई राशि को कुछ स्वीकृति का इंतजार था, जिसके लिए अब एक प्रमाण पत्र आ गया है। सभी नियमों का पालन करते हुए शेष राशि भी सौंप दी गई।
कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों के बीच, अगस्त 2020 में गुजरात के पिठोरिया में एक ऑनलाइन कथा के दौरान मोरारी बापू की हार्दिक अपील पर उदार धनराशि जुटाई गई थी। अपील के दौरान, मोरारी बापू ने राम मंदिर के निर्माण में योगदान देने की अपनी गहरी इच्छा व्यक्त की थी। कथा के लिए देश भर से हजारों लोग एकत्र हुए हैं, जो वास्तव में ऐतिहासिक है और राम मंदिर के उद्घाटन के आसपास नियोजित पूरी योजना में एक सीमाचिह्नरुप है। इससे पहले 22 जनवरी को रामलला के दर्शन और प्राण प्रतिष्ठा में भी बापू उपस्थित रहे थे। 
बापू ने इससे पहले 2018 में यौनकर्मियों के लिए अयोध्या में राम कथा की थी। बापू ने कहा था कि, गोस्वामी तुलसीदास ने अपने समय में ‘वासंती’ नामक एक यौनकर्मी को रामायण सुनाई थी और उन्होंने उसी परंपरा का पालन किया था। राम कथा सुनाने, राम नाम लेने और राम काम करने में 64 साल से अधिक समय समर्पित करने के बाद, बापू ने प्राण प्रतिष्ठा के बारे में कहा था कि, “मेरा दिल खुशी से भर गया है, क्योंकि राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है और मैं अत्याधिक प्रसन्न हूं। इन दिनों मेरे हृदय की धमनियों में रक्त का संचार नहीं हो रहा, मेरा हृदय खुशी से धड़क रहा है!”