गोपेश्वर (चमोली)। कांग्रेस के सांगठनिक चुनावों को लेकर दावेदारों की कसरत शुरू हो गई है। इसके चलते कांग्रेस जिलाध्यक्ष को लेकर दावेदार सक्रिय हो गए है।
कांग्रेस ने इस बार सांगठनिक चुनाव कराने का बीडा उठाया है। इसके चलते ब्लॉक, नगर तथा जिलाध्यक्ष पद को लेकर दावेदारों की कसरत शुरू हो गई है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद को लेकर तमाम दावेदार सक्रिय होकर लाबिंग में जुट गए है। इसके चलते कांग्रेस में सियासी हलचल तेज हो गई है। जिलाध्यक्ष पद के लिए जोशीमठ के युवा तुर्क राकेश रंजन भिलिंगवाल, तेफना के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह रावत, डिम्मर के सुरेश डिमरी, जोशीमठ के कमल रतूडी, थराली के विनोद रावत, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सूरज सैलानी, कर्णप्रयाग के ईश्वरी मैखुरी, गौचर के अजय किशोर भंडारी, गोपेश्वर के प्रमोद बिष्ट तथा देवाल के इंद्र सिंह राणा का नाम चर्चाओं में आया है। इन दावेदारों ने अपनी दावेदारी की पुष्टि भी की है।
कांग्रेस की सियासत में दखल रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि विपक्ष में होने के चलते कांग्रेस इस बार सक्रिय और ऊर्जावान कार्यकर्ताओं को संगठन की कमान सौंपने का मन बना चुकी है। इसके लिए आर्थिक रूप से संपन्न दावेदारों को कसौटी पर परखा जा रहा है। ऐसा इसलिए भी विपक्ष में होने के चलते संसाधनों का अभाव भी जिलाध्यक्ष को झेलना पड़ सकता है। इसलिए संसाधन से लेस दावेदार को तरजीह देने पर मंथन चल रहा है। गुटीय राजनीति से दूर रहने वाले दावेदार की तलाश को प्रमुखता दी जा रही है। इस तरह के हालात में हाईकमान की कसौटी पर खरा उतरने वाले दावेदार को ही संगठन की कमान सौंपी जाएगी। वर्ष 2027 में राज्य में विधान सभा के चुनाव होने है तो संगठन की मजबूती के लिए हाईकमान यह निर्णय लिया है। इस निर्णय के चलते सांगठनिक मजबूती के लिए जिलाध्यक्ष से लेकर ब्लॉक तथा नगराध्यक्ष पदों पर समर्पित कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाएगी। यानि संगठन की कमान उसी व्यक्ति को सौंपी जाएगी जिसके पास पार्टी के लिए समय और संसाधन हों। अब देखना यह है कि कांग्रेस भी भाजपा की ही तरह थोपाथोपी की राजनीति करती है अथवा समर्पित और फुलटाइमर को चयन की कसौटी का आधार बनाती है। अब आगे दावेदारों की यह कसरत क्या गुल खिलाती है। इस पर सबकी नजरें टिक गई है।