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जानें क्या होता है महिलाओं से जुड़ी समस्या पोस्टपार्टम डिप्रेशन, कैसे कर सकते है बचाव

by anumannews

 

बिजनौर : पोस्टमार्टम डिप्रेशन बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं को होने वाला खास तरह का डिप्रेशन है। बच्चे होने के बाद अधिकतर मांएं स्‍ट्रेस और डिप्रेस महसूस करती हैं। इसे ही पोस्टमार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। बच्चे के जन्म के बाद मां काफी इमोशनल भी हो जाती है, जिसके कारण मां को छोटी-छोटी बातों पर रोना आता है और स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है। ये स्थिति अवसाद यानी डिप्रेशन तक पहुंच जाती है। कई बार होने वाली मांओं को प्रेगनेंसी के समय से ही डिप्रेशन का अनुभव होने लगता है लेकिन उन्हें इस बात का पता भी नहीं चलता। महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मुनमुन लेपचा और डॉक्टर अजरा ने महिलाओं से जुड़ी एक खास समस्या पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में बताया है साथ ही इसका उपचार भी बताया है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन या प्रसवोत्तर अवसाद गर्भवती महिलाओ में पाए जाने वाला एक मनोरोग है। जो अधिकतर आठ में से एक महिला में पाया जाता है। इस मनोरोग का उपचार संभव है। यह एक भावनात्मक और संवेगात्मक गड़बड़ी के फलस्वरूप होती है, जो महिलाओ में गर्भावस्था के दौरान या माँ बनने के बाद होती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों को वक्त रहते पहचानकर उससे जल्दी छुटकारा पाया जा सकता है।

पहले कारण को पहचाने

पोस्टपार्टम डिप्रेशन महिलाओं में जीवन के तनावपूर्ण परिस्थितियों जैसे वित्तीय समस्याएं, किसी अप्रिय घटना का घटित होना, पहला अनुभव दुखदायी होना, एक किशोरी के रूप में गर्भवती होना, पहली बार माँ बनना, परिवार तथा पति का सौहार्दपूर्ण एवम भावनात्मक साथ न मिल पाना आदि समस्याओं पर आधारित होता है। इसका समय के साथ उपचार भी संभव है।

व्यवहार में बदलाव

पोस्टपार्टम डिप्रेशन से ग्रसित महिला का मूड खराब रहता है, छोटी-छोटी बातो पर रोना जाता है, चिड़चिड़ाहट, चिंता, बेचैनी, नींद में कमी, भूख में कमी या अधिकता, किसी कार्य में ध्यान लगाने में मुश्किल होती है, अपने बच्चे के साथ सम्बन्ध बनाने में कठिनता महसूस करती है, एक डर सताता है की वह अच्छी माता नहीं, खुद को दोष देती हैं, निराशा से भरी होती है, लोगो से बात करने का मन नहीं करता है और स्वयं को या बच्चे को नुकसान पहुचने का विचार मन में आने लगता है, तो हो सकता है की पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो। यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन बच्चे के जन्म के २ या ३ सप्ताह से अधिक दिनों तक रहने से हो सकता है।

काउन्सलिंग से करे उपचार

अगर आप बच्चे के जन्म के उपरांत या जन्म के समय होने वाले तनाव से निकलने में परेशानी महसूस कर रहे हैं तो कुछ जरुरी उपाय अपना सकते हैं, जैसे- अच्छा खाना खाये, पौष्टिक और हेल्दी डाइट फॉलो करे, व्यायाम और मैडिटेशन करे। अपनी पसंद की एक्टिविटी में हिस्सा ले। यदि आपको अपनी दैनिक गतिविधिया करने में दिक्कत आ रही है तो बगैर देर किये डॉक्टर से मिलना ही सही है। मनोचिकित्सीय उपचार आपको तनावपूर्ण घटनाओ से बेहतर तरीके से निपटने में मदद कर सकता है। हालांकि पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लिए मनोचिकित्सीय मेडिसिन और सपोर्ट ग्रुप के साथ थेरेपी आपको भविष्य की चुनौतियों से निपटने में भी मदद कर सकती है। काउन्सलिंग में कॉग्निटिव बेहेवियर थेरेपी (CBT) एक प्रमुख थेरेपी है, जिसमे रोगी की नकारात्मक सोच,दृष्टिकोण और भावनाओं में परिवर्तन लाने की कोशिश की जाती है।